लसोड़ा या गूंदा का पेड़ (Cordia myxa)
लसोड़ा जिसको राजस्थान में विशेषरूप से गूंदा नाम से जाना जाता है। यह एक बहुवर्षीय पेड़ होता है, जिसकी ऊंचाई लगभग 15 से 20 फ़ीट तक होती है। यह राजस्थान के मैदानी भागों सहित सम्पूर्ण भारत और दक्षिणी ऐसिया क्षेत्र में विशेष रूप से पाया जाता है। वैसे विश्व के अन्य भौगोलिक क्षेत्रों में भी इसकी उपस्थिति है।
नामकरण
हिंदी - लसोड़ा, लिसोड़ा
संस्कृत - श्लेष्मतक
वैज्ञानिक नाम - Cordia myxa
वैसे अन्य ज्यादातर विदेशी भाषाओं में इसको लसोड़ा के नाम से ही जाना जाता है।
कच्चा लसोड़ा का साग और आचार भी बनाया जाता है। पके हुए लसोड़े मीठे होते हैं तथा इसके अन्दर गोंद की तरह चिकना और मीठा रस होता है, जो शरीर को मोटा बनाता है।
लसोड़े के पेड़ बहुत बड़े होते हैं इसके पत्ते चिकने होते हैं। दक्षिण, गुजरात और राजपूताना में लोग पान की जगह लसोड़े का उपयोग कर लेते हैं। लसोड़ा में पान की तरह ही स्वाद होता है। इसके पेड़ की तीन से चार जातियां होती है पर मुख्य दो हैं जिन्हें लमेड़ा और लसोड़ा कहते हैं। छोटे और बड़े लसोडे़ के नाम से भी यह काफी प्रसिद्ध है। लसोड़ा की लकड़ी बड़ी चिकनी और मजबूत होती है। इमारती काम के लिए इसके तख्ते बनाये जाते हैं और बन्दूक के कुन्दे में भी इसका प्रयोग होता है। इसके साथ ही अन्य कई उपयोगी वस्तुएं बनायी जाती हैं।
क्या इसके पत्ते में किसी नुकीली काडी से लिखने में कुछ देर बाद पत्ते में लिखा हुआ ऐसे लगता है जैसे स्केच पेन से लिख दिया हो
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