सोनामुखी या सनाय (Cassia angustifolia)
सोनामुखी - आयुर्वेद का अमृत
सोनामुखी मुख्यरूप से उष्ण कटिबंधीय पादप है, जिसका मूल वास सऊदी अरब और सोमालिया है। ग्यारहवीं शताब्दी में इस पौधे को अरब व्यापारियों द्वारा भारत मे लाया गया और सबसे पहले तमिलनाडु में इस पौधे का रोपण किया गया था। आज यह पौधा तमिलनाडु, गुजरात और राजस्थान की बंजर भूमि में इसकी व्यापारिक रूप से खेती की जाती है।
पहचान
सोनामुखी जिसे सेन्ना भी कहा जाता है, यह एक वर्षीय पुष्पीय झाड़ी होती है, जो लगभग एक से डेढ़ मीटर तक बढ़ती है। पत्तियां एक से डेढ़ सेमी लंबी और छोर पर तिकोणी होती है, जिसका रंग गहरा हरा और भूरा होता है। पत्तियां प्रायः 8 से 10 के युग्म में होती है।
शाखाओं के ऊपरी सिरे पर गुच्छे के रूप में लाइन से पुष्पक्रम निकलता है, जो एकदम पीले कलर का होता है। फलियां निकलने के बाद पुष्प झड़ जाते है। इसके पुष्प बहुत कुछ पंवाड के पौधे के पुष्प से मिलते जुलते होते है।
विभिन्न भाषाओं में नामकरण
वैज्ञानिक नाम - Cassia anggustifolia
कुल - Leguminosae
अंग्रेजी - इंडियन सेन्ना
हिंदी - सेन्ना, तिन्नैवेल्ली सेन्ना, सोनामुखी
संस्कृत - स्वर्णपत्री, सनाय
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