ऊंट कंटारा (Echinops echinatus)

 थार के मरुस्थलीय परिवेश में पाई जाने वाली वनस्पतियों में ऊंट कंटारा एक प्रमुख औषधीय पादप है। राजस्थान के थार मरुस्थल के अतिरिक्त गंगा के मैदानी क्षेत्रों, चरागाहों व खुले वनों, उत्तर-पश्चिमी हिमालय, पंजाब, उत्तर-प्रदेश, बिहार आदि क्षेत्रों में भी ऊंट कंटारा की उपस्थिति पाई जाती है। इसके समस्त भागों पर डेढ़ से दो इंच लंबे और अत्यंत पतले और तीक्ष्ण कांटे पाए जाते है।

 


इसका स्वरूप कुछ - कुछ ब्रह्मदंडी और सत्यानाशी से मिलता जुलता होता है, जिससे कई लोग भ्रम वश ब्रह्मदंडी को ही ऊंट कंटारा समझ लेते है। पूरे पौधे पर तीक्ष्ण कांटे होने के बावजूद ऊंट इसको बड़े चाव से खाते हैं। इस पौधे का सर्वांग भाग औषधीय महत्व का होता है।

आयुर्वेदिक मतानुसार ऊंट कंटारा कटु, तिक्त, उष्ण, लघु, कफवातशामक, वृष्य, मूत्रल, बलकारक, कफनिसारक तथा रुचिकर होता है। यह प्रमेह, तृष्णा, हृदयशूल, मूत्रकृच्छ्र, दाह, विस्फोट तथा शोथनाशक होता है। इसकी मूल गर्भस्रावकारी तथा वाजीकारक होती है। इसके बीज वाजीकर होते हैं

नामकरण   

 वानस्पतिक नाम : Echinops echinatus Roxb.

कुल : Asteraceae (ऐस्टरेसी)                                 

अंग्रेज़ी नाम : Globe thistle                                  

संस्कृत-  उत्कण्टक, उत्तुण्डक, कंटफल, रक्तपुष्पा, कण्टालु,      

उर्दू - ऊँटकटारा (Untkatara)                                        

कन्नड-ब्रहमा डान्डे (Brahma dande)                      

गुजराती-शुलियो (Shuliyo), उत्कन्टो (Utkanto), उत्काटो    

तमिल-कट्टम (Kattam), कन्टाकम (Kantakam)        

तेलुगु-ब्रह्मदण्डी (Brahmadandi)                              

मराठी-काडेचुबक (Kadechubak), उटांटी (Utanti)।


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