छोटी दूधी (Euphorbia macrophyllae)

 छोटी दूधी

         बरसात के मौसम में खेत खलिहानों और जंगलों में एक छोटा सा पौधा दिखाई देता हैं, जिसे आम बोलचाल की भाषा में दूधी कहा जाता हैं। आयुर्वेद में इसको बहुत चमत्कारी औषधी माना जाता हैं। राजस्थान के थार मरूस्थल से लेकर दक्षिण भारत तक खाली मैदानों और पर्वतीय क्षैत्रों में यह पौधा खूब पनपता हैं।


पहचान

दूधी यूफोर्बियेसी कुल का एक छोटा सा पौधा हैं, जो प्राय भूमि पर पसरा हुआ होता हैं। इसकी पत्तियां छोटी और अण्डाकार होती हैं। तना गोल, पतला, कोमल और रक्ताभ वर्ण का होता हैं। इस पौधे के पत्ते या टहनी को तोड़ने पर सफेद रंग का दूध निकलता हैं। दूधी पौधे की प्राय दो प्रजातियां पायी जाती हैं -

1. छोटी दूधी

2.बड़ी दूधी

यहां पर हम मुख्यतः छोटी दूधी के गुणधर्म की चर्चा कर रहे हैं।


विभिन्न भाषाओं में नामकरण

हिन्दी - दूधी, छोटी दूधी

संस्कृत - लघु दुग्धिका, गोरक्षदुग्धी, 

ताम्रदुग्धी, रसायनी, मृताजीवी, 

राजक्षव, क्षीरावी, क्षीरिका, शीता

गुजराती - दोधक, नहानी दुधेली

राजस्थानी - दूधी

कन्नड़ - केम्पुनन, हक्की

तमिल - चीन्मम्पटच्यौसी, सिलपत्रादि

तेलुगु - मनुबला, रेड्डीवरीमनुबला

बंगाली - केरई, दूदीया

नेपाली - सानो दुधे

पंजाबी - बर्दोदक, दोधक

मराठी - लहान नायटी, घक्डीदुधी, हाहानदुधी    

मलयालम - नीलप्पाला

फारसी - गजरदनाह

अंग्रेजी - Thyme Leaved spurge

वानस्पतिक नाम - Euphorbia thymifolia

कुल - Euphorbiaceae




गुणधर्म

आयुर्वेद के अनुसार छोटी दूधी कफ पित्तशामक, वातवर्धक, वातानुलोमक, उत्तेजक, रक्त शोधक, कफघ्न, श्वासहर, मूत्रल, अश्मरीघ्न, आर्तवजनन, कुष्ठघ्न, तथा विषघ्न होती हैं। यह स्तम्भक, प्रशामक, विरेचक, मूत्रल, आर्तवजनक, कामोत्तेजक और कृमिनिस्सारक होती हैं।



आयुर्वेदिक उपयोग

(नोट : औषधीय उपयोग मे लेने से पहले किसी योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए)

  • उदर विकार में छोटी दूधी के पत्तों का काढा बनाकर 10 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से आमातिसार और अतिसार का शमन होता हैं।
  • इसके पत्तों का क्वाथ बनाकर पीने से अश्मरी (पथरी) का नाश होता हैं।
  • पैर मे कांटा चुभ जाने पर दूधी को पीसकर लेप करने से कांटा निकल जाता है।
  • दूधी के पत्तो का स्वरस दूध के साथ मिलाकर बच्चों को पिलाने से उदरशूल में लाभ होता हैं। 

नोट : दूधी का अधिक सेवन ह्रदय के लिए हानिकारक हैं।

इन्हें भी देखें - 

1. पुनर्नवा (BOERHAVIA DIFFUSA)

2. इंद्रायण (CITRULLUS COLOCYNTHIS)

3. बुई (डेजर्ट कॉटन) AERVA JAVANICA

4. खेजड़ी या शमी का वृक्ष (PROSOPIS CINERARIA)

5. पीलू या जाळ का पेड़


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